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jaag aa.Nkhe.n khol ... kahaa.N teraa insaaf hai

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जाग आँखें खोल चुप क्यों है बोल
मेरे भगवन ये क्या हो रहा है -२

कहाँ तेरा इन्साफ़ है कहाँ तेरा दस्तूर है
( मैं तो हूँ मजबूर ओ भगवन ) -२ क्या तू भी मजबूर है
कहाँ तेरा इन्साफ़ ...

सब कहते हैं तूने हर अबला की लाज बचाई
आज हुआ क्या तुझको तेरे नाम की राम दुहाई
ऐसा ज़ुल्म हुआ तो होगी तेरी ही रुसवाई -२
( आँखों में आँसू भरे हैं ) -२ दिल भी ग़म से चूर है
कहाँ तेरा इन्साफ़ ...

कैसा अत्याचार है शादी है या व्यापार है
दौलत में सब ज़ोर है धर्म बड़ा कमज़ोर है
बिकते हैं संसार में इन्सां भी बाज़ार में
दुनिया की ये रीत है बस पैसे की जीत है
ऐसा अगर नहीं है तो सच भगवान कहीं है तो
मेरे सामने आए वो ये विश्वास दिलाए वो -३

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