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ishq aayaa ... ashaqo.n me.n Duub Duub ke

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इश्क़ आया मेरी दुनिया में तो ऐसे आया
इक झलक देके छुपा चाँद अँधेरा छाया

अशक़ों में डूब डूब के आई हँसी तो क्या
मर मर के दो घड़ी को मिली ज़िंदगी तो क्या
अशक़ों...

बुलबुल ने जब कफ़स में ठिकाना बना लिया
अँगड़ाई लेके शाख़ से पूछी कली तो क्या
अँगड़ाई लेके शाख़ से पूछी कली तो क्या
मर मर के...

रो रो के बुझ गये मेरी आँखों के जब चिराग़
रो रो के बुझ गये मेरी आँखों के जब चिराग़
फिर ज़िंदगी में शम्म-ए-मुहब्बत जली तो क्या
मर मर के...

जब ज़िंदगी में कोई तमन्नाअ ही न रही
तब जाके दिल को इश्क़ की मँज़िल मिलि तो क्या
मर मर के...

अशक़ों मेन डूब डूब के...

Comments/Credits:

			 % Contributor: Satish Kalra
% Transliterator: Satish Kalra
% Date: 1 Feb 2005
% Series: Latanjali
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