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ha.Nsane kii chaah ne itanaa mujhe rulaayaa hai

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हंसने की चाह ने इतना मुझे रुलाया है
कोई हमदर्द नहीं, दर्द मेरा साया है

दिल तो उलझा ही रहा ज़िन्दगी की बातों में
सांसें जलती हैं कभी कभी रातों में
किसी की आहटें ये कौन मुस्कुराया है
कोई हमदर्द नहीं ...

सपने छलते ही रहे रोज़ नई राहों से
कोई फिसला है अभी अभी बाहों से
किसी की आह पर तारों को प्यार आया है
कोई हमदर्द नहीं ...

Comments/Credits:

			 % Credits: Raj Ganesan (raj@tandem.com)
		     
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