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ha.ngaamaa hai kyuu.N barapaa tho.Dii sii jo pii lii hai

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ये अलग बात है साक़ी के मुझे होश नहीं
वरना मैं कुछ भी हूँ एहसान-फ़रामोश नहीं

मैं तेरी मस्त-निगाही का भरम रख लूँगा
होश आया भी तो कह दूँगा मुझे होश नहीं

हंगामा है क्यूँ बरपा थोड़ी सी जो पी ली है
डाका तो नहीं डाला चोरी तो नहीं की है

उस मय से नहीं मतलब दिल जिससे हो बेगाना
मकसूद है उस मय से दिल ही में जो खिंचती है

सूरज में लगे धब्बा फ़ितरत के करिश्मे हैं
बुत हमको कहें ख़ाफ़िर अल्लाह की मर्ज़ी है

नातजुर्बाकारी से वाइज़ की ये बातें हैं
इस रंग को क्या जाने पूछो जो कभी पी है

वाँ दिल में कि सदमें दो, याँ जी में कि सब सह लो
उनका भी अजब दिल है, मेरा भी अजब जी है

हर ज़र्रा चमकता है अनवार-ए-इलाही से
हर साँस ये कहती है हम हैं तो ख़ुदा भी है

ए शौक़ वही मय पी ऐ होश ज़रा सो जा
मेहमान-ए-नज़र इस दम इक बर्क-ए-तज़ली है

Comments/Credits:

			 % This is also in Live In India, and in "The Best of Ghulam Ali".
		     
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