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hamaarii hii muTThii me.n aakaash saaraa

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humming

हमारी ही मुठ्ठी में आकाश सारा
जब भी खुलेगी चमकेगा तारा
कभी ना ढले जो, वो ही सितारा
दिशा जिस से पहचाने संसार सारा

हथेली पे रेखाएँ हैं सब अधूरी
किस ने लिखी हैं नहीं जानना हैं
सुलझाने उन को न आएगा कोई
समझना हैं उन को, ये अपना करम है
अपने करम से दिखाना है सब को
ख़ुद का पनपना, उभरना है ख़ुद को
अँधेरा मिटाए जो नन्हा शरारा
दिशा जिस से पहचाने संसार सारा
हमारी ही मुठ्ठी में ...

हमारे पीछे कोई आए ना आए
हमें ही तो पहले पहुँचना वहाँ है
जिन पर है चलना नई पीढीयों को
उन्हीं रास्तों को बनाना हमें है
जो भी साथ आएँ उन्हें साथ ले ले
अगर ना कोई साथ दे तो अकेले
सुलगा के ख़ुद को मिटा ले अँधेरा
दिशा जिस से पहचाने संसार सारा

हमारी ही मुठ्ठी में आकाश सारा
जब भी खुलेगी चमकेगा तारा
कभी ना ढले जो, वो ही सितारा
दिशा जिस से पहचाने संसार सारा

humming

Comments/Credits:

			 % Transliterator: Nimish Pachapurkar
% Date: 2 Jul 2003
% Series: GEETanjali
% Comments: Song exists in two versions Manna Dey and Kavita K.
%                   Both version are with Chorus.
% generated using giitaayan
		     
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