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gusse me.n jo nikharaa hai us husn kaa kyaa kahanaa

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गुस्से में जो निखरा है उस हुस्न का क्या कहना
कुछ देर अभी हमसे तुम यूँ ही ख़फ़ा रहना -२

इस हुस्न के सागर की इक बूँद चुरा लें हम -२
इन गर्म निगाहों को सीने से लगा लें हम -२
( पल भर इसी आलम में ) -२ ऐ जान-ए-अदा रहना
कुछ देर अभी हमसे ...

ये बहका हुआ चेहरा ये बिखरी हुई ज़ुल्फ़ें -२
ये चढ़ती हुई धड़कन ये बढ़ती हुई साँसें -२
( सामान-ए-कज़ा हो तुम ) -२ सामान-ए-कज़ा रहना
कुछ देर अभी हमसे ...

पहले भी हसीं थीं तुम लेकिन ये हक़ीक़त है -२
वो हुस्न मुसीबत था ये हुस्न क़यामत है -२
( औरों से तो बढ़कर हो ) -२ खुद के भी सिवा रहना
कुछ देर अभी हमसे ...

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