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gokul kii ek naar chhabiilii jamunaa taT par aa_ii re

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गोकुल की एक नार छबीली
जमुना तट पर आई रे

गोरा बदन और पतली कमरिया
चाल चलत इठलाई रे
पग पायल ने रुनु-झुनु रुनु-झुनु
मीठे सुर में गाई रे

पुरवैया ने छेड़ के साड़ी
सर से कुछ सरकाई रे
चोटी खुल के लहराई है
ज्यूँ नागन बलखाई रे

इत उत ढूँढ़े अपने पी को
सुध बुध कुछ बिसराई रे
मानो राधे प्रेम की मूरत
ढूँढ़े कृष्ण कन्हाई रे

Comments/Credits:

			 % Date: 22 July 2003
% Comments: Anilda Series: veena / viiNaa
		     
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