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do naino.n ne jaal bichhaaya

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दो नैनों ने जाल बिछाय
और दो नैना उलझ गये, उलझ गये
एक वही बेदर्द न समझा
दुनियावाले समझ गये, समझ गये

दिल था एक बचपन क साथीइ
वो भि मुझको छोड गया -२
निकट अनाडी अन्जाने से
मेर नाता जोड गया

मैं बिरहन प्यासी की प्यासी
सावन आये बरस गये, बरस गये

दो नैनों ने जाल बिछाय ...

बैठे हैं वो तन मन घेरे -२
फिर भि कितनी दूर हैं वो
मैं तो मारी लाज शरम की
किस कारन मजबूर हैं वो

जल में डूबे नैन हमारे
फिर भी प्यासे तरस गये, तरस गये

दो नैनों ने जाल बिछाय ...

Comments/Credits:

			 % Date: June 28, 1999  
% Comments: LATAnjali series
		     
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