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chalii chalii re gorii chalii balakhaa_ii ke

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चली चली चली रे गोरी चली बलखाई के
गोरे गोरे मुखड़े पे घुंघटा गिराए के
हाँ कजरा लगाई के गजरा सजाई के
चूड़ी खनकाई के मुझे तड़पाई के
ओ ज़रा हल्लू से पल्लू सरकाईयो
गोरी जिया ना जलाइयो
ओ कहीं और जाके इसक लड़ाइयो
मोसे नज़र ना मिलाइयो
चली चली रे ...

कोई संग ना सहेली कहां जाएगी अकेली
ज़रा इधर पलट जा
ऐ पलट रे
ओ चाहे जाऊँ जहाँ जाऊँ तेरे संग नहीं आऊँ
चल पीछे हट जा
अरे हट परे तू
ओ दिल की घंटी न ऐसे टुनटुनाइयो
भोंपू यहां ना बजाइयो
ज़रा हल्लू से पल्लू ...

ओ जा रे जा रे हरजाई मेरी होगी रुसवाई
तेरा जाएगा भी क्या
अच्छा तुझे दूंगा नहीं धोखा कर ले मेरा तू भरोसा
ऐसे मुझे न तड़पा
ओ मेरी बाहों में आके झूल जाइयो
अरे आइयो कि झूल जाइयो
मटक मटक ना सताइयो
ऐ कहीं और जाके इसक ...

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